जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा। जन्माष्टमी का त्यौहार रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर स्थित धामपुर में श्री कृश्ण जन्माश्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्शोल्लास से मनाया गया, कृश्ण भगवान के जन्मोत्सव पर नगर में स्थित मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया, मंदिरों में रंग बिरंगी लाईट्स, गुब्बारे आदि भी लगाये गये, सभी ने अपने बच्चों को सुंदर सुंदर वेशभूषा पहनाकर श्री कृष्ण और राधा बनाया, मंदिरों में छोटे छोटे नटखट बाल गोपाल और राधा दिखाई दी, नगर में स्थित शिव मंदिर, खारी कुआं स्थित षंकर भगवान और गौरा पार्वती मंदिर, वाल्मीकि कॉलोनी स्थित मंदिर, चामुण्डा देवी मंदि और ठाकुरद्वारा मंदिर सहित मंदिरों और गली मोहल्लों में भी बच्चों को राधा कृश्ण, शंकर -पार्वती, सहित भगवान जी के रूप में सजाया गया, जिनके भक्तो ने दर्षन किये और प्रसाद चढ़ाया, भक्तों ने श्री कृश्ण और भगवान रूपी बच्चो को झूला भी झुलाया, श्री कृश्ण जन्माश्टमी पर झाकियां भी सजाई गई, शंकर भगवान और पार्वती माता का नृत्य और कृश्ण लीला दिखाई गई, बच्चों ने श्री कृष्ण को वासुदेव द्वारा कारागार से ले जाते हुए भी नाटक प्रस्तुत किया, इस दौरान भगवान रूपी बच्चे और सजे हुए मंदिर लोगों के आकर्शण का मुख्य केंद्र रहे।